प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से पूछा है कि आईटी एक्ट 2000 की धारा 66 ए को सुप्रीम कोर्ट की ओर से असंवैधानिक घोषित करने के बाद भी यूपी पुलिस इस धारा में मुकदमे क्यों दर्ज कर रही है? कोर्ट ने कहा कि, सर्वोच्च अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद इसका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। अदालत ने 4 सप्ताह में दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। औरैया के हरिओम की याचिका पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ सुनवाई कर रही है।

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची के खिलाफ बेला थाने में आईटी एक्ट की धारा 66 ए और 506 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि धारा 66 ए को सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल केस में असंविधानिक घोषित कर दिया है। तथा इस धारा के तहत मुकदमे दर्ज ना करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं बाद में पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लि‌बर्टी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के केस में कोर्ट ने श्रेया सिंघल केस का आदेश देश के सभी उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजने का निर्देश दिया था, ताकि आदेश का सभी राज्यों में पालन किया जा सके।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी  जताई 

सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट  निर्देश के बावजूद प्रदेश में आईटी एक्ट की धारा 66ए में मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। हाई कोर्ट ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए महानिबंधक को आदेश दिया है कि उनके आदेश की प्रति मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजी जाए तथा दोनों अधिकारी व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने याची के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच और उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

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