*अभिनव सोनी

बिलासपुर। कोविड -19 के चलते करीब 8 महीने से  सभी न्यायालयों में  सामान्य रूप से कामकाज बन्द हैं। पर अब माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल श्री नीलम चंद सांखला द्वारा 17 नवम्बर से उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों में सुचारू रूप से कार्य शुरू करने का आदेश जारी किया है।  जिसके अनुसार जारी दिशानिर्देशों के साथ चरणबद्ध तरीके से अब 17 नवम्बर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय व सभी अधीनस्थ न्यायालयों में सामान्य तौर पर कामकाज शुरू हो जाए
न्यायालय के सामान्य रूप से संचालन हेतु दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं:-
उच्च न्यायालय के लिए – 
1.उच्च न्यायालय में सुनवाई हेतु रखे जाने वाले मामलों की संख्या संबंधित पीठ करेगी।
2.उच्च न्यायालय में प्रकरणों की तत्काल सुनवाई हेतु , पर्ची पहले रजिस्ट्रार जनरल के सामने प्रस्तुत करनी होगी।
अधीनस्थ न्यायालयों  (जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश,श्रमिक न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायाधीश वाणिज्यिक न्यायालय, विशेष न्यायाधीश  अनुसूचित जाति/ जनजाति औद्योगिक न्यायालय के सदस्य न्यायाधीश ) आदि के लिए – 
1.नए मामले दायर करने की अनुमति होगी।
2.रायपुर ,बिलासपुर व दुर्ग में, (05) न्यायालय उच्चस्तरीय न्यायिक सेवा ,(07) अधीनस्थ न्यायिक सेवा स्तर में रोटेशन आधार पर सामान्य कार्य जारी रखने की अनुमति होगी।
3. जिन स्थानों में 03 या तीन से कम न्यायालय हैं उनमें सामान्य रूप से कार्य जारी रहेगा, और जबकि अन्य स्थानों में 50℅ Higher JS न्यायालय व 50 ℅ Lower JS ,में  रोटेशन आधार पर सामान्य कार्य जारी रहेगा ।
 4. उक्त न्यायालयों में केवल जमानत व रिमांड संबंधित कार्य  पूर्णकालिक (05 बजे) तक होंगे जबकि अन्य मामलों में सुनवाई , केवल प्रथम पहर यानी 11 से 02 बजे तक ही होगी। 
5.न्यायालय के सामान्य संचालन के दौरान निम्नलिखित मामले सुनवाई हेतु स्वीकार किए जाएंगे
  • 1.रिमांड मामले 
  • 2.जमानत मामले
  • 3.सुपुर्दनामा के मामले
  • 4.अपील व पुनर्विचार हेतू (सिविल व दाण्डिक दोनों)
  • 5.विचाराधीन (अंडर ट्रायल) कैदियों से संबंधित
  • 6. 05 वर्षो से अधिक, लंबित प्रकरण (सिविल व दांडिक दोनों)
  • 7. मोटर दुर्घटना दावा/ प्रतिकर के मामले 
  • 8. मोटर दुर्घटना दावा मामलों में संबंधित जमा /भुगतान के प्रकरण
  • 9. CRPC की धारा 125 के तहत प्रकरण
  • 10.सुप्रीम कोर्ट अथवा हाइकोर्ट के  निर्देशित समयावधि में, समाप्ति हेतु प्रकरण (सिविल व दाण्डिक दोनों)
  • 11.अन्य अतिमहत्वपूर्ण मामले जिन्हें तत्काल सुनवाई हेतु न्यायालय ने रखा है।
  • 12. महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध लैंगिक हमलों से संबंधित प्रकरणों का ट्रायल।
06. अगर कोर्ट परिसर अथवा कोर्ट परिसर के आसपास के क्षेत्र  कंटेनमेंट जोन/रेड ज़ोन हैं, अथवा  कलेक्टर द्वारा जारी लॉक डाउन प्रभाव में हो तो। उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश से पूर्व सम्बन्धित प्रशासन द्वारा जारी आदेश/ निर्देश प्रभावी होगा।
07.न्यायालय में सुनवाई हेतु रखे जाने वाले मामलों का निर्धारण ,कम से कम भीड़ सुनिश्चित करते हुए व सोशल डिस्टेंसिंग व फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया जाएगा।
08.सोशल डिस्टेंसिंग के मानदण्डों को मद्देनजर रखते हुए कार्य पूरा करवाने हेतु, मुख्य न्यायाधीश, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, श्रमिक न्यायालय,, न्यायाधीश वाणिज्यिक न्यायालय, विशेष न्यायाधीश  अनुसूचित जाति, जनजाति सदस्य न्यायाधीश औद्योगिक न्यायालय आदि । स्टाफ को आवश्यतानुसार रोटेशन या अन्य आधार पर रखने के लिए स्वतंत्र होंगे।
09. जिला एवं सत्र न्यायाधीश को निर्देशित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें की न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोग द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य सुरक्षा प्रारूपों जैसे :- मास्क, सेनेटाइजर इत्यादि का कड़ाई से पालन किया जाये। विशेषकर व्यक्तियों के मध्य  2 गज की दूरी बनाए रखने हेतु सर्कल(वृत्त) का निर्माण किया जाना सुनिश्चित करें।
10.चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इसका उल्लंघन करने पर भविष्य में प्रवेश करने पर निषेध लगाया जा सकता हैं। अथवा दंड भी लगाया जा सकता है।
11. केवल वे अधिवक्ता जिनके प्रकरणों की सुनवाई हैं और वे अधिवक्ता जो केस दायर करने/ दस्तावेज जमा करने आये हो केवल उन्हीं को अनुमति होगी। व एक प्रकरण में अधिकतम दो अधिवक्ता उपस्थित रहेंगे।
12. सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय,केंद्र सरकार,राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, व अन्य सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी कोविड – 19 से संबंधित  दिशानिर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए।
13.जिला एवं सत्र न्यायाधीश को अपने न्यायालय में  सुचारू रूप से कार्य हेतु व कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के प्रबंधन करने हेतु मौजूदा स्थिति के अनुसार कोई भी आवश्यक परिवर्तन करने, व न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं व पक्षकारों के बैठक संबंधी व्यवस्थाओं में आवश्यक परिवर्तन करने का अधिकार होगा।

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