गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए आवश्यक अनुमतियां लेने की अनुपालना पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को अनपूरक हलफनामा दायर करने के आदेश दिए हैं। सरकार इस हवाई अड्डे को हर हाल में पूरा करना चाहती है। इसके लिए सरकार ने महाधिवक्ता की ओर से 7 दिसंबर 2023 में दिए गए बयान को वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया है, जिस पर उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने की।

अदालत में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रीता गोस्वामी ने सरकार के इस आवेदन पर एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए न ही पर्यावरण क्लीयरेंस और न ही अनुमति ली है, जो किसी भी प्रजोक्ट के बनाने से पहले ली जाती है। उन्होंने अदालत को बताया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह क्षेत्र सिस्मिक जोन (भूकंप की संभावना वाला क्षेत्र) के अंतर्गत आता है। इस आधार पर सरकार को आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों से भी दूसरी सलाह लेने के लिए कहा था।

सरकार आनन-फानन में सभी नियमों को दरकिनार कर इस हवाई अड्डे का विस्तारीकरण करना चाहती है। सरकार ने इसे बनाने से पहले डीजीओ सिविल एविएशन की अनुमति भी नहीं ली है, जो अनिवार्य होती है। अदालत में सरकार की ओर से दायर आवेदन में कहा है कि कि गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए हमने पहले ही सभी विभागों से जरूरी अनुमतियां ले ली हैं। इसी पर अदालत ने सरकार को अगली सुनवाई के दौरान अनुपालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। इस मामले की आगामी सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

प्रभावित लोगों को जमीन से बेदखल न करने का दिया था आश्वासन
गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण मामले में महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में प्रभावित लोगों को उनकी जमीन से बेदखल न करने का आश्वासन दिया गया था। महाधिवक्ता ने यह आश्वासन हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए अधिसूचित भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 की धारा 11 (1) के तहत दिया था।

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