सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ठोस कचरे के प्रबंधन को लेकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 को लागू करने में एजेंसियां पूरी तरह विफल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर सभी हितधारकों की बैठक बुलाने और इस पर चर्चा करने का निर्देश दिया है।

शीर्ष अदालत ने किया आगाह
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बहुत अहम है कि 2016 के नियमों को राजधानी दिल्ली में सही तरीके से लागू किया जाए। न्यायमूर्ति अभय एस ओक और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 11 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘अगर हमें पता चला कि सभी प्राधिकरण इस मुद्दे पर साथ नहीं आते हैं और हमें 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के लिए समय-सीमा नहीं बताते हैं, तो हमें कठोर आदेश जारी करने पड़ सकते हैं।

अदालत ने हालात को लेकर जताई चिंता
अदालत ने ये भी कहा कि सभी हितधारकों को 2016 के नियमों के अनुपालन की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने बैठक आयोजित कर प्रतिक्रिया साझा करने की समय सीमा 13 दिसंबर तय की है। पीठ ने कहा कि ‘जैसा कि हम अन्य मामलों में भी देख रहे हैं, 2016 के नियम कागजों पर ही रह गए हैं। अगर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2016 के नियमों को लागू करने में पूरी तरह से विफलता है, तो देश के अन्य भागों के शहरों में क्या हो रहा होगा, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। पीठ ने इस मामले पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर तय की है।

क्या है मामला
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली एनसीआर में ठोस कचरे के प्रबंधन का मुद्दा उठा। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने 18 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि 2026 तक वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन ठोस कचरे के प्रसंस्करण की अपनी क्षमता को पार कर जाएगा। 26 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के खराब कार्यान्वयन पर अपनी चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि दिल्ली में प्रतिदिन 3,000 टन से अधिक ठोस कचरा अनुपचारित रह जाता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने एमसीडी को फटकार लगाई थी और कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन 11,000 टन से अधिक ठोस कचरा पैदा होता है, जबकि प्रसंस्करण संयंत्रों की दैनिक क्षमता केवल 8,073 टन है।

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