सुप्रीम कोर्ट ने मातृत्व अवकाश के मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से उस प्रावधान के पीछे का औचित्य बताने को कहा है, जिसके तहत महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ लेने का अधिकार दिया गया है। केंद्र सरकार के वर्तमान नियमों के मुताबिक केवल तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने वाली महिलाओं को ही मातृत्व अवकाश का लाभ लेने का अधिकार है। याचिकाकर्ता ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के इस प्रावधान की संवैधानिक वैधता पर सवाल खड़े किए हैं। कानूनी प्रावधान को चुनौती देने वाली इस याचिका पर जस्टिस जेबी पारदीवाला और पंकज मिथल की पीठ ने 12 नवंबर को आदेश पारित किया।
तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश
मातृत्व अवकाश मामले की सुनवाई करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा, केंद्र ने तीन महीने की उम्र निर्धारित करने को उचित ठहराते हुए अपना जवाब दाखिल किया है। हालांकि, सुनवाई के दौरान कई मुद्दे सामने आए हैं, जिन पर विचार करना जरूरी है। तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि सरकार आज सुनवाई के दौरान उठे मुद्दे पर एक और जवाब दाखिल करेगी।’
केंद्र सरकार को मातृत्व अवकाश के प्रावधान का औचित्य बताना होगा
शीर्ष अदालत ने कहा, इस मामले में केवल वही महिला मातृत्व अवकाश लाभ लेने की हकदार होगी, जिसके बच्चे की आयु कम है या वो तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है। आयु अधिक होने पर मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार को विशेष रूप से इस बात का औचित्य बताना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।