मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक किसान को गुरुवार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इस बात की मंजूरी दी कि वह ट्रांसप्लांट के लिए अपनी 17 वर्षीय बेटी से लिवर का हिस्सा दान में ले सकता है। इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में खेती-किसानी करने वाले शिवनारायण बाथम (42) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि उनकी 17 वर्षीय बेटी उन्हें अपने लिवर का हिस्सा दान करने को तैयार है। इसकी अनुमति दी जाए। लगभग 14 दिन बाद हाईकोर्ट से अनुमति मिल गई है।

मेडिकल बोर्ड से भी मिल गई थी मंजूरी

हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा के सामने याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड ने नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच की है। साथ ही पाया है कि वह अपने बीमार पिता को लिवर का हिस्सा दान कर सकती है। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की इस रिपोर्ट के मद्देनजर बाथम की याचिका मंजूर कर ली। सिंगल बेंच ने यह ताकीद भी की कि लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया तमाम एहतियात बरतते हुए जल्द से जल्द पूरी की जाए।

छह साल से लिवर की समस्या से जूझ रहे

बाथम के वकील निलेश मनोरे ने बताया कि पिछले छह साल से लिवर की गंभीर बीमारी से उनके क्लाइंट जूझ रहे हैं। वह इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। मनोरे ने बताया कि उनके क्लाइंट की पांच बेटियां हैं और उन्हें अपने लिवर का हिस्सा दान करने की इच्छा जताने वाली बेटी उनकी सबसे बड़ी संतान है। उन्होंने बताया कि प्रीति 31 जुलाई को 18 साल की हो जाएगी।

80 साल के हैं पिता

मनोरे ने बताया कि बाथम के पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं। इसलिए उनकी बेटी उन्हें लिवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई ताकि वह अपने बीमार पिता की जान बचा सके। वहीं, बेटी के कदम पर बाथम ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है।

गौरतलब है कि नियम के अनुसार 18 साल से कम उम्र के लिए अंग दान नहीं कर सकते हैं। इसकी वजह से कानूनी अड़चन आ रही थी। वहीं, डॉक्टरों ने कह दिया था कि लिवर ट्रांसप्लांट नहीं होने पर जान पर संकट है। कोर्ट ने अब मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर लिवर डोनेट करने की अनुमति दी है।

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