बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के उन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया, जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों के जलाशयों में विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया गया है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। उसने बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और महाराष्ट्र के अन्य सभी नगर निगमों को निर्देश दिया कि वे 1 और 2 फरवरी को मनाए जाने वाले ‘माघी गणेश’ उत्सव से पहले दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।

उच्च न्यायालय ने मूर्ति निर्माताओं से यह भी पूछा कि अदालत के बार-बार दिए गए आदेश के बावजूद उन्होंने देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए पीओपी का उपयोग क्यों जारी रखा है। सीपीसीबी ने 12 मई, 2020 को संशोधित दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें पीओपी से बनी मूर्तियों के निर्माण, बिक्री और विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पीओपी एक सफेद पाउडर है जो पानी में मिलाने पर सख्त हो जाता है। बोर्ड ने मूर्तियां बनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल के उपयोग को प्रोत्साहित किया है।

अदालत ठाणे निवासी रोहित जोशी और मिट्टी से मूर्तियां बनाने वाले 9 कारीगरों सहित अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीपीसीबी के 2020 के दिशानिर्देशों के सख्त पालन का अनुरोध किया गया है। दूसरी ओर, पंजाब में जालंधर के डिप्टी कमिश्नर-कम-डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने जिला पुलिस को जालंधर जिले में स्थापित बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। अमृतसर में आंबेडकर की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की हालिया घटना को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट ने पुलिस को एहतियात के तौर पर जालंधर जिले में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए, ताकि शरारती तत्वों की ऐसी किसी भी हरकत को रोका जा सके।

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