14.89 एकड़ भूमि सारंगपुर में अलॉट करने का हाईकोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया है। हाईकोर्ट की इमारत पर अतिबोझ को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को सारंगपुर में तुरंत 14.89 एकड़ भूमि अलॉट करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस इमारत का निर्माण 1954 में नौ न्यायाधीश के पद, 250 पंजीकृत वकीलों के लिहाज से किया गया था। आज जजों के 85 स्वीकृत पद हैं और 12000 पंजीकृत वकील ऐसे में हमें तुरंत अतिरिक्त जमीन की जरूरत है।
जब मामला सुनवाई के लिए आया तो चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर सारंगपुर में वैकल्पिक भूमि के आवंटन के संबंध में इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय से चर्चा की गई थी। हाईकोर्ट के प्रशासनिक ब्लॉक के लिए छह-छह एकड़ के दो भूखंड थे और 2.86 एकड़ के एक भूखंड को आवंटन के लिए उपलब्ध बताया गया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में हाईकोर्ट के पास स्थान की कमी है और ऐसे में सेक्टर 17 और इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद इमारत को भी सारंगपुर में भूमि अलॉटमेंट के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति निधि गुप्ता की खंडपीठ ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट कर्मचारी संघ के सचिव विनोद धत्तरवाल और अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए ंभूमि अलॉटमेंट को बेहद जरूरी बताया। इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई कोर्ट की मौजूदा इमारत/परिसर भार सहन करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि हाई कोर्ट में लंबित पांच लाख से अधिक न्यायिक फाइलों को रखने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह है।
हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग 70 वर्षों के अंतराल में न्यायाधीशों के स्वीकृत पद 09 से बढ़कर 85 हो गए हैं और इस इमारत में केवल 69 कोर्ट रूम मौजूद हैं। इनमें से भी कुछ स्थायी लोक अदालतों के तो कुछ मध्यस्थता केंद्र के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगले 50 वर्षों में हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 140/150 तक पहुंच जाएंगे और इनके साथ ही वकील और स्टाफ की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। हाईकोर्ट की इमारत के निर्माण के समय भविष्य की आवश्यकताओं पर इतना ध्यान नहींं दिया गया लेकिन आज हमें 50 साल बाद की स्थिति को देखकर आगे बढऩा होगा।