राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडलिस्ट और अर्जुन अवॉर्डी बॉक्सर मनोज कुमार की DSP के तौर पर नियुक्ति की मांग पर अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से खिलाड़ियों को पद और विभाग आवंटन के लिए मौजूद मानदंड अगली सुनवाई पर सौंपने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी हक के लिए अदालत के चक्कर काटने को मजबूर क्यों हो रहे हैं। मामले की सुनवाई के दौरान याची की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया कि खिलाड़ियों को पद और विभाग आवंटित करते हुए भेदभाव किया जा रहा है। याची जो ग्रेजुएट है उसे इंस्पेक्टर का पद दिया जा रहा है जबकि जो बारहवीं पास खिलाड़ी हैं उन्हें DSP के तौर पर नियुक्ति दी गई है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि ममता सौदा, जितेंद्र कुमार, जोगिंदर शर्मा, गीतिका जाखड़ को सरकार ने DSP के पद पर नियुक्ति दी है, लेकिन राज्य की नीति के अनुसार इसके लिए पूरी तरह से हकदार होने के बावजूद याची को इस पद से इन्कार कर दिया गया।
याची ने बताया कि उसने 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और ऐसे में वह DSP के तौर पर नियुक्ति के लिए बिलकुल पात्र था लेकिन उसका दावा खारिज कर दिया गया। जबकि जोगिंदर शर्मा जिन्होंने 2007 में दक्षिण अफ्रीका में केवल एक 20-20 क्रिकेट विश्व कप मैच खेला था, उन्हें DSP नियुक्त किया गया है। सरकार ने बताया कि खिलाड़ियों को पद व विभाग बांटने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी है और यह पूरी तरह से उनका अधिकार क्षेत्र है कि वह किसे कौन सा पद देती है।
हाईकोर्ट ने माना कि जहां तक लिखित नियम का सवाल है, उसमें पदों के वितरण और विभाग के लिए कमेटी द्वारा अपनाए जा रहे किसी भी मानदंड के बारे में सरकार का हलफनामा पूरी तरह से मौन है। जस्टिस पंकज जैन ने मामले की सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित करते वकील को निर्देश दिया कि वह खिलाड़ियों को पद/विभाग वितरित करने के लिए कमेटी द्वारा अपनाए जा रहे मानदंडों को रिकॉर्ड पर रखें, जो 20 अगस्त 2013 व 15 जुलाई 20214 की नीति के अनुसार हों।