सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक जर्नलिस्ट के खिलाफ सिर्फ इसलिए क्रिमिनल केस नहीं दर्ज किया जा सकता है कि उनकी लेखनी में सरकार की आलोचना है। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएम भाटी की बेंच ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर की, जिसमें एक जर्नलिस्ट ने यूपी में अपने खिलाफ दर्ज केस को खारिज करने के लिए गुहार लगाई है। कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा।

मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-19 (1)(ए) के तहत पत्रकारों का अधिकार प्रोटेक्टेड है। सरकार की आलोचना मानकर किसी पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के खिलाफ यूपी में पुलिस ने उनकी ‘सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी’ संबंधित रिपोर्ट के मामले में केस दर्ज किया था। इस केस को खारिज करने के लिए याची पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

पत्रकार का क्या है आरोप

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर राज्य के कानून लागू करने वाले तंत्र का दुरुपयोग करके उसकी आवाज दबाने का स्पष्ट प्रयास है। आगे किसी भी तरह के उत्पीड़न को रोकने के लिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। बता दें कि 20 सितंबर को हजरतगंज थाने में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की ओर से दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि जब उन्होंने ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ शीर्षक से खबर की तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

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