सरकारी वकील को बसपा नेता के खिलाफ दायर की चार्जशीट की तारीख की जानकारी न होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के डीजीपी को नसीहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीजीपी अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता को दूर करें।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले की सुनवाई में वर्चुअल रूप से पेश हुए डीजपी डॉ. जितेंद्र से कहा कि आपराधिक मामलों में अदालत को बार-बार उचित सहायता नहीं मिल रही है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता वट्टी जनैया यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश एसवीएन भट्टी ने कहा कि आपराधिक मामलों में हमें आपके राज्य से उचित सहायता नहीं मिल रही है। यह स्थिति ठीक नहीं है। न्यायाधीश रॉय ने कहा कि तेलंगाना के मामलों में ऐसा बार-बार हो है।

इस पर डीजीपी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने आरोप पत्र में कोई तारीख का उल्लेख नहीं करके खामी की थी। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार के वकील ने भी इस मामले को लेकर कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। पीठ ने डीजीपी को अदालत की ओर से दिखाई गई खामियों को लेकर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए।

दरअसल, बहुजन समाज पार्टी के नेता वट्टी जनैया यादव ने भारत राष्ट्र समिति सरकार पर उनके आपराधिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पिछले साल यादव को  गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी थी।

एक अक्तूबर को जब कोर्ट यादव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी तो पीठ ने सरकारी वकील से उनके खिलाफ दायर चार्जशीट की तारीख को लेकर सवाल पूछा था। इस पर वकील ने कहा था कि उन्हें तारीखों की जानकारी नहीं है। वकील ने बस इतना कहा था कि आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं। इस पर पीठ ने माना था कि अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच मतभेद है। कोर्ट ने तेलंगाना के डीजीपी को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा था।

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