बिलकिस बानो केस में बीजेपी शासित गुजरात सरकार को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार (26 सितंबर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषियों की रिहाई से जुड़े आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया।

गुजरात सरकार ने अपने खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई को खारिज कर दिया था। इसी समय कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां की थीं।

गुजरात सरकार ने याचिका में क्या कहा?

गुजरात सरकार की याचिका में अदालत की इस टिप्पणी पर भी सवाल उठाया गया कि उसने “दोषियों के साथ मिलीभगत करके काम किया है।” राज्य सरकार ने तर्क दिया कि यह टिप्पणी अनुचित है और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है और याचिकाकर्ता के खिलाफ पक्षपातपूर्ण भी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इससे असहमति जताई।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “समीक्षा याचिकाओं, चुनौती दिए गए आदेश और उनके साथ संलग्न दस्तावेजों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के बाद, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं दिखाई देती है या समीक्षा याचिकाओं में कोई ऐसा गुण नहीं है, जिसके कारण चुनौती दिए गए आदेश पर पुनर्विचार किया जाए।”

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन 11 लोगों को गुजरात सरकार ने “अच्छे व्यवहार” के लिए रिहा किया था उन्हें जेल वापस लौटना होगा। अदालत ने एक ऐसे फैसले पर ऐतिहासिक आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकार इन लोगों को रिहा करने में सक्षम नहीं है, जिससे जनता में रोष फैल गया था।

अदालत ने कहा, “छूट आदेश में योग्यता का अभाव है।” कोर्ट ने गुजरात सरकार को “बिना सोचे-समझे” ऐसा आदेश पारित करने के लिए फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषियों को केवल उसी राज्य से रिहा किया जा सकता है जिसने उन पर पहले मुकदमा चलाया था; इस मामले में वह राज्य महाराष्ट्र था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page