पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उससे 14 घंटे और 40 मिनट तक पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाई। साथ ही अदालत ने ED के अधिकारियों को थोड़ा संवेदनशील बनने के लिए कहा।
लाइव लॉ की खबर के अनुसार, जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने कहा कि ED की ओर से ऐसा करना वीरतापूर्ण नहीं है और उन्होंने केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को संवेदनशील बनने के लिए कहा। जस्टिस सिंधु ने कहा कि यह एक इंसान की गरिमा के खिलाफ है और ED के अधिकारियों को उचित समय सीमा का पालन करना होगा।
इसके साथ ही आगे के लिए कोर्ट ने ED को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, जिसमें गरिमा का अधिकार भी शामिल है। अदालत ने कहा, “इसकी सराहना की जाएगी अगर संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) द्वारा निर्धारित बुनियादी मानवाधिकारों के अनुसार आरोपियों की निष्पक्ष जांच के लिए कुछ आवश्यक तंत्र स्थापित किया जाए, न कि किसी एक दिन एक ही बार में इतनी लंबी अवधि तक अनावश्यक उत्पीड़न किया जाए।”
कांग्रेस कैंडीडेट से ED ने की 14 घंटे से ज्यादा की पूछताछ
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के सोनीपत उम्मीदवार और वर्तमान में विधायक सुरेंद्र पवार की ED द्वारा गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हुए ये टिप्पणियां की गईं। कोर्ट ने कहा कि कथित अवैध खनन और ई-रावण बिल बनाने के मामले में 19 जुलाई को 14 घंटे और 40 मिनट तक पवार से लगातार पूछताछ की गई थी। धोखाधड़ी के एक मामले से संबंधित 8 FIR के आधार पर एक ECIR भी दर्ज किया गया था।
सुनवाई के दौरान पवार के वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि न तो कथित 8वीं FIR में उनका नाम था, जिसके आधार पर वर्तमान ECIR दर्ज की गई है और न ही उसके बाद की 9वीं FIR में उसका नाम है। उन्होंने ED की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाते हुए इशारा किया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
जस्टिस सिंधु ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मामले का आधार अवैध खनन है लेकिन यह पीएमएलए के तहत एक अनुसूचित अपराध नहीं है इसलिए, प्रथम दृष्टया, उस आधार पर सुरेंद्र पवार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।