सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 39 अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया। इनमें से 10 महिला अधिवक्ता और 8 उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश हैं। जनवरी के बाद यह दूसरा मौका है जब एक साथ 11 महिला अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया है। इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा ज्यूडिशियरी में जेंडर इक्वेलिटी के एक बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने हमेशा न्यायपालिका में अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करने की वकालत की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता नामित होने वाली महिला वकीलों में पहली बार सांसद बनी बांसुरी स्वराज, अपर्णा भट्ट, अनिंदिता पुजारी, इंद्रा साहनी, कविता झा, कवलजीत कोचर, मनीष टी करिया, रुचि कोहली, शशि किरण और मोनिका गोसाईं शामिल हैं। इसके अलावा भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर के बेटे शरण देव सिंह ठाकुर, शादान फरासत, राहुल कौशिक, ऋषि मल्होत्रा, अशोक पंगढ़ी, परमेश्वर के और अभिमन्यु भंडारी और रोमी चाको भी शामिल हैं। इस साल जनवरी में भी सुप्रीम कोर्ट ने 56 वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया था। फिर मार्च में 5 अन्य वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था।
पूर्ण न्यायालय की बैठक में उच्च न्यायालयों के 8 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों/न्यायाधीशों को भी वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। इनमें केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बाबू ए।एम, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गुडीसेवा श्याम प्रसाद, मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एम। वेणुगोपाल, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मुंगेश्वर साहू, बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिट प्रकाश नाइक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस शशि कांत गुप्ता, मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टी। राजा और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस विवेक पुरी शामिल हैं।