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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के महरौली में पुरातत्व संरक्षित पार्क के अंदर सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं की सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI ) को पक्षकार बनाया और स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। पार्क में 13वीं शताब्दी की बनी इमारतें हैं। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक, इस जगह पर 1317 ईसवी का आशिक अल्लाह दरगाह और बाबा फरीद की चिल्लागाह जैसी इमारते हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की, जिसमें इन निर्माण संरचनाओं की सुरक्षा के लिए निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया गया था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और प्राधिकरण को पहले अदालत द्वारा गठित धार्मिक समिति के समक्ष अपना प्रतिनिधित्व करने का निर्देश दिया था। धार्मिक समिति द्वारा लिए गए फैसले को इसके कार्यान्वयन से पहले रिकॉर्ड में रखा जाना था।

‘ASI को यह बताने दें कि।।।’

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि ASI को यह बताने दें कि कौन से स्मारक पुराने हैं और कौन से हाल ही में बने हैं। याचिकाकर्ताओं के पैरोकार सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि संबंधित मामले में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) भी एक पक्ष है। इसके बाद बेंच ने ASI और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को साइट का दौरा करने और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। रिपोर्ट को धार्मिक समिति के साथ भी शेयर किया जा सकता है।

हाई कोर्ट के समक्ष दायर याचिका में आशंका जताई गई है कि महरौली में दरगाह और चिल्लागाह को दिल्ली विकास प्राधिकरण जल्द ही ध्वस्त कर देगा क्योंकि जनवरी में डीडीए ने 600 साल पुरानी एक अखोंजी नाम की मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। इसके साथ ही मदरसा बहरुल उलूम और आसपास कई कब्रें भी ध्वस्त कर दी गईं थी।

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