पिता की मौत के कारण अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने देरी के चलते खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत आने में याची ने सात साल लगा दिए, इसका मतलब याची का परिवार अभाव में नहीं था।

ऐसे में अनुकंपा आधार पर नौकरी का आदेश नहीं दिया जा सकता। याचिका दाखिल करते हुए लुधियाना निवासी रणवीर सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके पिता FCI में थे और 2002 में उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद उसने 2003 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी का आवेदन किया था जिसे 2004 में खारिज कर दिया गया। इस बीच उसने कई बार प्रतिवादियों को आग्रह किया, लेकिन 2017 में उसका आवेदन फिर से खारिज कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को अभाव, दरिद्रता और भुखमरी से बचाना है न कि मृतक कर्मचारी के परिवार के सदस्य को कोई पद देना है। अनुकंपा नौकरी मृतक कर्मचारी के परिवार को उसकी असामयिक मृत्यु के कारण अचानक आए संकट से उबरने के लिए राहत प्रदान करना है ताकि परिवार के एकमात्र कमाने वाले की आय के अप्रत्याशित अभाव से उबरने के लिए परिवार को वित्तीय सहायता मिल सके।

याची का आवेदन 2017 में रद्द किया गया था और इसके बाद याची ने 7 साल का समय अदालत आने में लगा दिया। ऐसे में स्पष्ट है कि उनका परिवार न तो गरीब था और न ही अभाव की स्थिति में। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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