पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गोवंश के मरने और गोशालाओं की बुरी दशा पर संज्ञान लिया। इस विषय से जुड़े कई मामलों पर सुनवाई करते हुए हरियाणा व पंजाब सरकार से 22 मई 2018 को स्टेट्स रिपोर्ट तलब की थी। छह साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी दोनों राज्यों द्वारा कोई रिपोर्ट न देकर हाईकोर्ट से समय देने की मांग की गई।

याचिका में बताया कि बूचड़खानों में बेची जाती गाय
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया व जस्टिस लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा व पंजाब पर 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए, यह राशि चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित ब्लाइंड इंस्टीट्यूट में जमा करवाने का आदेश दिया। खंडपीठ ने दोनों सरकारों को 23 मई तक कोर्ट के आदेशानुसार स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया है। इस मामले में दायर याचिकाओं में कोर्ट को बताया गया कि राज्य के बाहर तस्करी कर गायें भेजी जा रही हैं, जिन्हें दुधारू गायों के नाम पर भेजा जाता है, लेकिन आगे बूचड़खानों में काटे जाने के लिए बेच दिया जाता है।

गायों और गोशाला को लेकर दोहरे मापदंड अपना रही सरकार- याचिका
साथ ही राज्यों में दूध देने वाली गायों को तो चारा, पानी और शेड मिलता है जबकि बैल व दूध न देने वाली गाय अक्सर पानी और चारे तक को तरस रही हैं। उनकी हालत बद से बदतर हो रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि गायों और गोशाला को लेकर सरकार डबल स्टैंडर्ड (दोहरे मापदंड) अपना रही है।

राज्य सरकारों से मांगी गई स्टेट्स रिपोर्ट
कुछ मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि आर्मी की गोशालाएं बंद कर उन्हें पैकेट का दूध दिया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर सरकार पैकेट के दूध को नुकसान देने वाला बताती है। इन गोशालाओं की गाय प्रदेश की गोशालाओं को देने की तैयारी चल रही है। इसके चलते इन गोशालाओं में केवल दुधारू पशुओं के लिए ही स्थान बचेगा और दूध न देने वाली गायों व बैल को ऐसे ही भूखा मरने को छोड़ दिया जाएगा। ऐसे में गोशालाओं का मूल मकसद ही समाप्त हो जाएगा और वे डेयरी में बदल जाएंगी।

याचिका में कोर्ट को बताया गया कि पुलिस और कुछ अधिकारी तस्करों को सहयोग देते हैं और बदले में मोटा पैसा वसूल करते हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में जवाब दायर कर स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

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