नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है, जिसमें कोर्ट से निर्देश मांगा गया है कि शादी के रजिस्ट्रेशन से पहले प्री मैरिटल काउंसलिंग अनिवार्य की जाए। गैर सरकारी संस्था नेशनल चाइल्ड डेवलपमेंट काउंसिल की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह एक नीति बनाने पर विचार करे। इसमें शादी के रजिस्ट्रेशन से पहले प्री मैरिटल काउंसलिंग को सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अनिवार्य करें।
गैर सरकारी संस्था ने वकील राबिन राजू के जरिये दाखिल याचिका में कहा है कि तलाक के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है, जिनकी वजह से दंपती अलग होने का निर्णय कर रहे हैं। देखा जा रहा है कि विशेषकर युवा दंपती ऐसे छोटे-छोटे कारणों से तलाक ले रहे हैं, जिन्हें आसानी से सुलझाया जा सकता है।
तलाक का मुख्य कारण संवाद की कमी और जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं हैं। प्री मैरिटल काउंसलिंग से दंपती छोटे-मोटे विवाद बेहतर ढंग से हल करने में सक्षम होंगे।
याचिका में कहा गया है कि हाल ही में गोवा ने एक नीति बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें प्री मैरिटल काउंसलिंग अनिवार्य की जाएगी। कहा गया है कि प्री मैरिटल कोर्स तैयार कराए जाने की जरूरत है, जिसमें व्यावहारिकता और जीवन की सच्चाइयों का ध्यान रखा जाए और जो दूल्हा-दुल्हन को मानसिक तौर पर मजबूत बनाए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि प्री मैरिटल काउंसलिंग इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हालिया रिपोर्ट के मुताबिक बहुत से लोग खराब शादी के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। अक्टूबर 2021 में जारी एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक वैवाहिक समस्या के चलते 2016 से 2020 के बीच करीब 37,591 लोगों ने आत्महत्या कर ली।