सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें सड़क के शिकार व्यक्ति को मिले मुआवजे पर अर्जित ब्याज पर टैक्स अनिवार्य करने वाले प्रावधान को रद्द करने की मांग की गई थी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना की पीठ ने वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह इस मामले में “व्यक्तिगत रूप से पीड़ित” नहीं थे.


पीठ ने कहा

 “याचिकाकर्ता मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) के तहत अवॉर्ड से व्यक्तिगत रूप से व्यथित नहीं है. इस प्रकृति की चुनौती को पीड़ित व्यक्ति को आगे लाना होगा. हम उस याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं देखते हैं जिसे जनहित याचिका के रूप में तैयार किया गया है.” 

पीठ ने कहा कि चूंकि आपको कोई दुर्घटना नहीं हुई और कानून का यह प्रश्न किसी पीड़ित व्यक्ति की याचिका में तय किया जाएगा.  अदालत ने स्पष्ट किया कि वह याचिका में उठाए गए कानूनी मुद्दे पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है.

अदालत वकील अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के 26 जून, 2019 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें माना गया था कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा दिए गए मुआवजे पर अर्जित ब्याज पर लगाया गया आयकर उचित है. सीबीडीटी ने इस मुद्दे पर उनके अभ्यावेदन को खारिज करते हुए आदेश पारित किया था और कहा था कि इस तरह का ब्याज आय की श्रेणी में आता है.

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