मधुबनी के एक अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश पर पुलिसकर्मी द्वारा हमला किए जाने के मामले में बिहार के पुलिस महानिदेशक पटना हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए। जिसके बाद उनके हस्ताक्षर वाली रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को सौंपी गई। न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने रिपोर्ट खोलकर पढ़ी और घटना के बारे में विवरण देखा और आदेश दिया कि रिपोर्ट रजिस्ट्रार न्यायिक की सुरक्षित हिरासत में रखी जाए। इसके अतिरिक्त कार्यवाही के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मृगांक मौली को अदालत की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया गया है।
क्या हैं मामला ?
मामला 1 दिसंबर, 2021 के लिए सूचीबद्ध किया गया है। 18 नवंबर को पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर में एडीजे अविनाश कुमार के चैंबर में हुई घटना का स्वत: संज्ञान लिया था। दरअसल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश मधुबनी से झंझारपुर के मधुबनी उपमंडल में हुई घटना के संबंध में पत्र प्राप्त होने पर न्यायालय ने स्वयं संज्ञान लिया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पत्र में कहा गया है कि, एडीजे अविनाश कुमार पर दो पुलिसकर्मियों द्वारा शारीरिक हमला किया गया: गोपाल कृष्ण, स्टेशन हाउस अधिकारी, घोघरडीहा और अभिमन्यु कुमार शर्मा, पुलिस उप-निरीक्षक, घोघरडीहा।
पत्र के अनुसार दोनों आरोपी पुलिसकर्मी जबरन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के चैंबर में घुसे और गाली-गलौज करने लगे। जब जज ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने उसके साथ मारपीट की और जज पर हमला करने के लिए अपनी सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल ली।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पत्र में बताया गया है कि एडीजे को बचाने के लिए कुछ वकील और अदालत के कर्मचारी समय पर मौके पर पहुंचे। विशेष सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने मौखिक आदेश में जज पर इस तरह के हमले की गंभीरता पर हैरानी जताई है, जैसा कि पत्र में बताया गया है।
अदालत ने आदेश में कहा, “प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। इस प्रकार हम प्रतिवादी संख्या 2 से 5 अर्थात मुख्य सचिव, बिहार सरकार, पटना, पुलिस निदेशक, बिहार, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार, पटना और पुलिस अधीक्षक, मधुबनी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं। ग को परेशान करने वाले पिंक पुलिस ऑफिसर पर केरल हाईकोर्ट ने कहा मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए डीजीपी को भी सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था।