इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह वर्षीय मासूम से रेप के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि देश में छोटी बच्चियों की पूजा होती है लेकिन आजकल मासूम बच्चियों से रेप की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसी ही छह वर्षीय एक बच्ची से रेप का जघन्य अपराध जिसका वह मतलब भी नहीं जानती, न केवल उस पीड़िता ही नहीं, बल्कि समाज व जीवन के मूल अधिकारों के खिलाफ अपराध है। यदि ऐसे अपराधियों के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ तो लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने बागपत के छोटू उर्फ जुल्फिकार की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।कोर्ट ने कहा कि अक्सर पीड़िता रेप के अपराध की रिपोर्ट नहीं लिखाती। परिवार भी इज्जत बचाने के लिए मौन रह जाता है। 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से रेप की सजा 20 साल कैद से बढ़ाकर उम्रकैद कर दी गई है। इस मामले में छह साल की पीड़िता का बयान है कि उसे मारा और पकड़कर खेत में ले जाकर उससे रेप किया गया। शोर मचाने पर महिलाओं ने बचाया। आरोपी भाग गया। बाद में पिता ने पीड़िता के बताने पर एफआई आर दर्ज कराई। कोर्ट ने छह वर्ष की बच्ची से रेप के अपराध को हीनियस क्राइम बताते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।बागपत थाने में दर्ज मामले के अनुसार गत सात मई की शाम की जब बच्ची खेल रही थी तो अभियुक्त उसे पकड़कर खेत में ले गया और वहां रेप किया। बाद में पिता ने एफआईआर दर्ज कराई। याची का कहना था कि पार्टीबंदी में उसे झूठा फंसाया गया है। वह आठ मई से जेल में बंद है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।