पंजाब विधानसभा सत्र की लाइव कवरेज के दौरान सिर्फ सरकार और उनके नेताओं को दिखाए जाने का आरोप है। इस बारे में कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa) ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने आज बाजवा की याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है।
लोक संपर्क विभाग को बनाया प्रतिवादी
बाजवा ने पंजाब के लोक संपर्क विभाग को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाया है। पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कोर्ट को इस बात पर भी जवाब दायर कर बताया कि राज्य विधानसभा का सीधा प्रसारण कौन चलाता है।
बाजवा की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
बाजवा ने सदस्यों के भाषणों की पक्षपातपूर्ण कवरेज का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस निधि गुप्ता की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद सभी प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
बाजवा ने याचिका में क्या आरोप लगाया?
बाजवा ने याचिका में आरोप लगाया है कि जब सत्ता पक्ष के सदस्य सदन में बोल रहे होते हैं, तो कैमरे को फोकस किया जाता है और पूरा ऑडियो उठाया जाता है और साथ ही आप बोलने वाले पर कैमरा ज़ूम किया जाता है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन बोल रहा है।
विपक्षी नेताओं का भाषण न दिखाने का आरोप
दूसरी ओर जब विपक्षी नेता बोलते हैं तो भाषण का पूरा हिस्सा नहीं दिखाया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि विपक्ष के विधायक और सरकार के विधायक दोनों अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं, इसलिए भेदभाव उनके मतदाताओं के साथ होता है।
विधानसभा अध्यक्ष को भेजा गया था आवेदन
वकील ने कहा कि इस संबंध में एक आवेदन विधानसभा अध्यक्ष को भेजा गया था, हालांकि कोई समाधान नहीं किया गया।पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने बाजवा से पूछा था कि वह पहले इस बात का पता करे कि लाइव प्रसारण चलाने के लिए कौन जिम्मेदार है। सीधा प्रसारण कौन चला रहा है, क्या यह एक निजी कंपनी है या कोई और, क्या कोई कानून है जिसके तहत यह शासित है।