बेटे की शादी में शामिल होने के लिए हत्या के मामले में जेल काट रहे संजय राणा की अंतरिम जमानत याचिका को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगल पीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया और कहा की ‘अगर माया सिंह (पूर्व विधायक) के रिश्तेदार हैं तो इसका यह मतलब तो नहीं कि दहशतगर्दी फैलाएंगे’।

युगलपीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि ‘वह बेचारा गरीब दुकानदार क्या कर रहा था, शांति से अपनी दुकान चला रहा था, अब ऐसे में उससे गाली-गलौच करना और यह रौब दिखाना कि हम पूर्व विधायक माया सिंह के रिश्तेदार हैं फिर गोली मार देना, इसका क्या मतलब है।’ जस्टिस आर्या ने यह भी कहा कि ऐसे लोगों की समाज में कोई जगह नहीं होती, इनकी वास्तविक जगह जेल में ही है।’ शादी में गए तो कोई देखेगा भी नहीं।

हाई कोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि दोषी के बेटे की शादी कब की है? तो याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि आगामी 21 जनवरी को शादी है। इस पर हिदायत देते हुए जस्टिस आर्या ने कहा कि ‘क्यों लड़के की शादी बिगाड़ना चाहते हो, इतनी बदनामी हो चुकी है कि कोई तुम्हें शादी में देखेगा तक नहीं, कोई जरूरत नहीं है शादी में जाने की।

इस मामले में काट रहा है जेल
29 जनवरी 2016 को न्यू गोविंदपुरी में यह वारदात हुई। फरियादी सीताराम अपनी किराने की दुकान पर बैठा था, तभी रामानुजनगर का रहने वाला इस मामले का दोषी संजय राणा अपनी कार से मौके पर आया और सीताराम से झगड़ने लगा। गाली-गलौच करते हुए राणा ने सीताराम से कहा कि ‘यहीं का रहने वाला है ना तू, हमें जानता नहीं है, हम माया सिंह के रिश्तेदार हैं। इतने में फरियादी सीताराम का बेटा घर से बाहर निकला, विवाद बढ़ने पर दोषी राणा ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से उसके बेटे पर गोली चला दी। इसके बाद उस पर हत्या का मामला दर्ज हुआ और कोर्ट में आरोप साबित होने पर सजा मिली।

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