सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर नई गाइडलाइन बनाई है।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा उत्तर प्रदेश राज्य के अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की शक्ति लागू नहीं की जा सकती। कोर्ट के मुताबिक, ऐसे अधिकारियों को बुलाने के हाई कोर्ट के ऐसे आदेशों की प्रक्रिया संविधान द्वारा परिकल्पित योजना के विपरीत है।हाईकोर्ट्स को किया आगाहसुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को अदालतों के सामने पेश होने के लिए कैसे बुलाया जाना चाहिए, इस पर विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तय की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट को आगाह किया कि वे सरकारी अधिकारियों को अपमानित न करें या उनकी पोशाक और दिखावे पर टिप्पणी न करें।उत्तर प्रदेश से जुड़े मामले में की सुनवाईआपको बता दें कि 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि असाधारण मामलों में ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए।दरअसल मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश का पालन ना करने पर उत्तर प्रदेश के दो IAS अधिकारी शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने का निर्देश देने से जुड़ा हुआ है।20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल कर विचार के लिए कुछ सुझाव दिए थेय कोर्ट ने SOP को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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