लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुबूतों की अहमियत पर जोर देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसे मामलों में साक्ष्य न मिलने से न्याय की उम्मीद खत्म हो जाएगी। निचली अदालत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी की कमी, देरी और न्यायालयों के तकनीकी दृष्टिकोण के कारण एक बार जो साक्ष्य नष्ट हो जाते हैं, वो हमेशा के लिए खो जाते हैं।सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की पीड़िता की मांग को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में घटना की तारीख महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में निचली अदालत द्वारा सबूतों को संरक्षित करना उतना ही महत्वपूर्ण था जितना ही न्यायिक व्यवस्था में उसके विश्वास को बचाना था।कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अदालत घटना के दिन दो मई 2023 के याचिकाकर्ता के घर के आसपास के सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का अदालत आदेश देती है। अदालत ने साथ ही यह भी आदेश दिया कि आरोपित व्यक्तियों के जनवरी से मई 2023 के बीच के कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी जांच अधिकारी द्वारा एकत्रित किया जाएगा।इस टिप्पणी और आदेश के साथ ही अदालत ने निचली अदालत के 18 अक्टूबर 2023 के आदेश को निरस्त कर दिया है।

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