कनीना की 53 ग्राम पंचायतों के ठोस कचरा प्रबंधन से जुड़े टेंडर के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने BDPO अरुण कुमार के निलंबन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। उन्होंने इस मामले में विधायक सीताराम के भांजे को टेंडर नहीं मिलने के चलते यह कार्रवाई होने की दलील देते हुए कहा था कि उन्हें बली का बकरा बनाया जा रहा है। याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार, विधायक सीताराम व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता ने बताया कि BDPO कनीना के पद पर कार्यरत रहते हुए उन्होंने तीन अक्तूबर को सभी 53 ग्राम पंचायतों का समाधान करवाकर ठोस कचरा प्रबंधन के लिए ऑनलाइन टेंडर निकाला था। याचिकाकर्ता की ओर से 6 अक्तूबर को कमेटी का गठन किया गया।
याची ने बताया कि विधायक सीताराम ने जेबीएनडब्ल्यू इंटरप्राइजेज के मालिक ईश्वर सिंह उर्फ बिल्लू के पक्ष में टेंडर जारी करने का दबाव बनाया जो उनका भांजा है। इसके बाद टेंडर अन्य कंपनी को जारी हो गया जिसका नतीजा यह हुआ कि याची का तबादला कनीना से नूंह में कर दिया गया।
20 अक्तूबर को हाईकोर्ट ने उनके तबादले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अब 11 दिसंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया। याची ने बताया कि टेंडर रद्द किया जा चुका है और मामला अदालत में विचाराधीन है। याची ने कहा कि विधायक के निर्देशों को स्वीकार नहीं करने के कारण उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। याची के पास इससे जुड़े सबूत हैं जिनके बारे में अधिकारियों को बताया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निलंबन पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि निलंबन आदेश में विभागीय कार्रवाई का जिक्र नहीं है और ऐसे में अगली तारीख पर याची के निलंबन का कारण स्पष्ट करने का सरकार को आदेश दिया है।