सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इसमें उसके उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई है जिसमें दिल्ली के उप राज्यपाल को 2015 के उस विधेयक पर सहमति देने या वापस करने का निर्देश देने से इन्कार कर दिया गया है जिसमें नर्सरी प्रवेश के लिए बच्चों की ‘स्क्रीनिंग’ पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है।NGO सोशल ज्यूरिस्ट द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में दलील दी गई है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मद्देनजर यह याचिका महत्वपूर्ण हो गई है। जिनमें पंजाब और तमिलनाडु के राज्यपालों द्वारा राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित और पुन: पारित विधेयकों पर सहमति देने में देरी पर नाखुशी व्यक्त की गई है।याचिका में सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का हवाला दिया गया है कि राज्य के राज्यपालों को संविधान के अनुच्छेद-200 के प्रविधानों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। अनुच्छेद- 200 में किसी राज्य की विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने की प्रक्रिया का उल्लेख है।