मुजफ्फरनगर में वर्ष 1996-97 में चोरी हुए National Savings Certificate और किसान विकास पत्र को फर्जीवाड़ा कर भुनाने के मामले में कोर्ट ने चार लोगों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है।

आरोपितों में तीन डाककर्मी भी शामिल हैं। वर्ष 1996-97 में इंडियन सिक्योरिटी प्रेस नासिक से देश के विभिन्न शहरों के लिए भेजे गए किसान विकास पत्र और National Savings Certificate चोरी कर लिए गए थे। इस संबंध में सभी पोस्ट ऑफिसों को सूचित कर दिया गया।

खतौली पोस्ट ऑफिस में सब पोस्ट मास्टर के पद पर तैनात श्यामदास और वेदप्रकाश, पोस्टल असिस्टेंट सुभाषचंद त्यागी और टीका सिंह, सब पोस्टमास्टर जनसठ कृष्ण कुमार, पोस्टल असिस्टेंट धर्मपाल ने अंबाला कैंट और बरेली कैंट पोस्ट ऑफिसों से खरीदा जाना दिखाकर फर्जी लोगों के नाम दिखाकर रुपये निकाल लिए।

डाककर्मियों ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। CBI ने शिकायत के आधार पर वर्ष 2000 में देहरादून में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की और 25 लाख 82 हजार 850 रुपये फर्जीवाड़ा कर निकाला जाना पाया। जांच के बाद आरोपितों पर वर्ष 2003 में चार्जशीट दाखिल की गई।

वर्ष 2005 से केस का ट्रायल चल रहा था। सोमवार को इस मामले में विशेष CBI कोर्ट-तीन न्यायाधीश अंजनी कुमार ने डाककर्मी श्यामदास, टीका सिंह, धर्मपाल और बाहरी व्यक्ति विनोद कुमार को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है।

कोर्ट ने डाककर्मियों पर सवा-सवा लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जबकि विनोद कुमार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सुधीर और विम्मी को बरी कर दिया।

उधर, कोर्ट ने तीन गैंग्सटर एक्ट के आरोपितों को सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक आरोपित पर 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक वरुण कुमार त्यागी ने बताया कि मोदीनगर थाना क्षेत्र में वर्ष 1999 में हरिओम त्यागी, निर्दोष त्यागी व प्रमोद त्यागी ने सरेआम राजीव की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

आरोपितों पर हत्या, हत्या के प्रयास व क्षेत्र में गुंडागर्दी कर भय व्याप्त करने समेत 12 से अधिक केस दर्ज हैं। आरोपितों को गैंग्सटर एक्ट में निरुद्ध किया गया था। सोमवार को मामले की अंतिम सुनवाई में गैंग्सटर एक्ट कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने पेश सबूत के आधार तीनों आरोपितों को दोषी मानते हुए सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

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