पंजाब सिविल सेवा (PCS) संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2025 में आरक्षण नीति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में बठिंडा निवासी सुखराज सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पंजाब लोक सेवा आयोग और पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में भर्ती विज्ञापन जो दो जनवरी 2025 जारी किया गया है को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने इस विज्ञापन को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए इसमें संशोधन की मांग की है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि इस विज्ञापन में कुल 322 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इस भर्ती में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत हारिजेंटल रिर्जवेशन (क्षैतिज आरक्षण) लागू किया गया था, लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप है कि ईएसएम/एलडीईएसएम श्रेणी की महिलाओं को केवल जनरल कैटेगरी तक सीमित कर दिया गया, जबकि अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और मजहबी सिख/वाल्मीकि श्रेणियों में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यह प्रविधान पंजाब सिविल सेवा (महिलाओं के लिए पदों के आरक्षण) नियम, 2020 के खिलाफ है, जिसे सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 21 अक्टूबर, 2020 को अधिसूचित किया गया था।
इसके अनुसार सभी श्रेणियों में क्षैतिज और विभाजित आरक्षण का प्रविधान किया गया था। उनका तर्क है कि इस प्रविधान के उल्लंघन से अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति की महिलाओं को अन्याय का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षण क्षैतिज होना चाहिए और इसे प्रत्येक वर्ग के भीतर लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार और रेखा शर्मा बनाम राजस्थान हाई कोर्ट के मामलों का उदाहरण दिया, जिनमें इसी प्रकार के आरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय दिए गए थे।
याचिका में हाई कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि इस विज्ञापन में संशोधन किया जाए और महिलाओं के लिए आरक्षण सभी श्रेणियों में समान रूप से लागू किया जाए। साथ ही कोर्ट से यह भी मांग की गई है कि जब तक इस याचिका पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।