किडनैपिंग, बलात्कार के आरोपियों से पुलिस और वकील द्वारा वसूली को गंभीर बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीरा-भयंदर, वसई-विरार पुलिस कमिश्नर से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. दरअसल, मीरा-भयंदर, वसई-विरार पुलिस कमिश्नरेट के एक वकील और जांच अधिकारी के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप लगे थे. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए रिपोर्ट तलब की है.
जस्टिस एएस गडकरी और डॉ. नीला गोकले की पीठ ने कहा कि पुलिस आयुक्त को संबंधित जांच अधिकारी और वकील से स्पष्टीकरण भी मांगना चाहिए.वहीं, पीठ ने स्पष्ट किया कि पुलिस आयुक्त से उम्मीद करते हैं कि वे याचिका को ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे और उसके बाद अपना जवाब दाखिल करेंगे. वे इस काम के लिए किसी अन्य कर्मचारी पर निर्भर नहीं रहेंगे.
कोर्ट ने जताई चिंता
बॉम्बे हाईकोर्ट ने वसूली से संबंधित याचिकाओं पर जवाब देते हुए कहा कि यदि जबरन वसूली के आरोप में एक भी सत्यता है तो यह हमारे राज्य के न्याय प्रणाली के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, कोर्ट उस याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसे कुछ आरोपियों ने दायर किया था. इन आरोपियों के खिलाफ साल 2021 में पालघर के माणिकपुर पुलिस थाने में धारा 363 (अपहरण), 376(3) (16 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलात्कार), 506 (आपराधिक डराना), 212 (अपराधी को आश्रय देना) और 34 (साझा इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
आरोपी की ओर से मौजूद वकील तुषार लवाटे ने जांच अधिकारी के खिलाफ ‘चौंकाने वाले आरोप’ लगाए. लवाटे ने कहा कि जांच अधिकारी निवास गरले ने वकील किरण बिनवाड़े के जरिए आरोपियों से 8,50,000 रुपये की जबरन वसूली की. उन्होंने इस पैसे के बदले आरोपियों को परेशान न करने का भरोसा दिया. उन्होंने कहा कि कुछ रकम बिनवाड़े की पत्नी के खाते में जमा करने को कहा गया था.वकील ने व्हाट्सऐप चैट और बैंक स्टेटमेंट का भी हवाला दिया.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संबंधित जांच अधिकारी ने पीड़िता को गायब कर दिया है ताकि वह किसी अदालत में अपनी गवाही देने के लिए न आएं. वकील ने कहा कि पीड़िता कथित अपराध के समय 18 वर्ष से अधिक थी, फिर भी दस्तावेज बनाए गए ताकि उसे नाबालिग दिखाया जा सके. में एक भी सत्यता है तो यह हमारे राज्य के न्याय प्रणाली के लिए गंभीर चिंता का विषय है.