बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोल्हापुर अदालत के 2017 के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक व्यक्ति को अपनी मां की हत्या करने और फिर उसके शव के कुछ अंगों को खाने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने कहा कि वह दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा की पुष्टि कर रही है। बेंच ने कहा कि उसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है। बेंच ने कहा कि यह नरभक्षण और दुर्लभतम श्रेणी का मामला है।
‘उम्रकैद दी तो फिर यही अपराध करेगा’
हाई कोर्ट ने कहा, यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है। दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसके शरीर के अंगों मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे और आंत को भी हटा दिया और उन्हें तवे पर पका रहा था। अदालत ने कहा, उसने मां की पसलियां पका ली थीं और उसका हृदय पकाने वाला था। यह नरभक्षण का मामला है। बेंच ने कहा, अगर दोषी को उम्रकैद की सजा दी गई तो वह जेल में भी इसी तरह का अपराध कर सकता है। कुचकोरवी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत के फैसले की जानकारी दी गई।
शराब के लिए पैसे न मिलने पर की थी मां की हत्या
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, सुनील कुचकोरवी ने 28 अगस्त 2017 को कोल्हापुर शहर में अपने घर पर अपनी मां यल्लामा रमा कुचकोरवी (63 वर्षीय) की जघन्य हत्या कर दी थी। बादमें उसने शव के टुकड़े किए और कुछ अंगों को कड़ाही में भूनकर खा लिया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि मां ने आरोपी को शराब खरीदने के लिए पैसे देने से इनकार किया था।
2021 में कोल्हापुर की अदालत ने सुनाई थी सजा-ए-मौत
सुनील कुचकोरवी को 2021 में कोल्हापुर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। वह पुणे की यरवदा जेल में बंद है। सत्र अदालत ने उस समय कहा था कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है और इस जघन्य हत्या ने समाज की सामाजिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है। दोषी ने अपनी दोषसिद्धी और मौत की सजा को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।