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पराली जलने से दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट आयोग की रिपोर्ट पर आज सुनवाई कर सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट 1998 में बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह व आठ अन्य को बरी करने वाले पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती वाली अपीलों पर भी बृहस्पतिवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन फैसला सुनाएंगे। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।

जस्टिस अभयएस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 27 सितंबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए दिल्ली में वायु प्रदूषण पर काबू पाने में नाकामी पर सीएक्यूएम को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उसे और अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पराली जलाने के वैकल्पिक उपकरणों का जमीनी स्तर पर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रयासों की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने पैनल को बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा से कहा था कि आपने अब तक अधिनियम के एक भी प्रावधान का अनुपालन नहीं किया है। क्या धारा 11 के अंतर्गत समितियां बनाई गई हैं? यह सब हवा में है। ऐसे में पराली से होने वाले वायु प्रदूषण से कैसे निपटेंगे?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर साल पराली जलाने की समस्या सामने आती है। पराली जलाने के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पराली से निपटने की सभी कार्रवाई सिर्फ कागजों पर हो रही हैं। हमें आपके कागज में कोई दिलचस्पी नहीं है। हमें एक भी निर्देश दिखाओ जो उन्होंने जारी किया हो। कोर्ट ने कहा कि क्या सीएक्यूएम अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई कार्रवाई की गई है?  आप मूकदर्शक बने हुए हैं। यदि आप यह संदेश नहीं दे सकते हैं कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो ये प्रावधान केवल कागज पर ही रह जाएंगे।

इससे पहले 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को कर्मचारियों की कमी के कारण अप्रभावी करार दिया था। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जिम्मेदार निकाय से यह बताने के लिए कहा कि वह प्रदूषण और पराली जलाने से कैसे निपटने के लिए तैयार है? शीर्ष अदालत ने आश्चर्य जताया था कि रिक्तियों के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से प्रतिनिधित्व की कमी के कारण सीएक्यूएम द्वारा गठित सुरक्षा और प्रवर्तन पर उप-समिति कैसे कार्य करेगी? कोर्ट ने पांच एनसीआर राज्यों को रिक्त पदों को तत्काल भरने का निर्देश दिया था।

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