उत्तर प्रदेश में चाइनीज लहसुन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई है। यह याचिका वकील मोतीलाल यादव ने डाली है। मोतीलाल के कोर्ट को बताया कि चाइनीज लहसुन से होने वाली बीमारी को देखते हुए बैन लगा दिया गया था लेकिन मौजूदा समय में इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इसको नेपाल के रास्ते भारत लाया जा रहा है।
फूड सेफ्टी और ड्रग डिपार्टमेंट के चीफ कोर्ट में तलब
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने फूड सेफ्टी और ड्रग डिपार्टमेंट के चीफ को अदालत में तलब किया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने चाइनीज लहसुन और देसी लहसुन को कोर्ट में मंगवाया। जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता ने चाइनीज लहसुन को लखनऊ की चिनहट मार्केट से ख़रीदा था। जिसे उन्होंने कोर्ट को भी दिखाया। इस मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई होगी। फूड सेफ्टी और ड्रग डिपार्टमेंट के चीफ शुक्रवार को कोर्ट में दोनों तरह के लहसुन की जांच करेंगे।
कोर्ट से पूछा ये सवाल
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को शुक्रवार को तलब कर पूछा है कि प्रतिबंधित ‘चीनी लहसुन’ अब भी बाजार में कैसे उपलब्ध है। न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी वस्तुओं के प्रवेश को रोकने के लिए मौजूद सटीक व्यवस्था के बारे में भी प्रश्न किया है और यह भी पूछा है कि इसके प्रवेश के स्रोत का पता लगाने के लिए क्या कोई कवायद की गई है।
देश में चाइनीज की बिक्री रोकने की मांग
वकील की जनहित याचिका में भारतीय बाजार में प्रतिबंधित चीनी लहसुन के निर्यात और बिक्री की जांच करने और दोषी अधिकारियों और अन्य अपराधियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की भी मांग की गई है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि चीनी लहसुन कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है। इससे कैंसर होने का भी खतरा है। गौरतलब है कि चीन विश्व में लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक है।