अगर आप देश में कहीं भी घर या फ्लैट लेने जा रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट की एक बात को ध्यान में रखना। देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने एक फैसले में कहा है कि कंप्लीशन सर्टिफिटे और फायर फाइटिंग क्लियरेंस सर्टिफिकेट के बिना डेवलपर्स या बिल्डर से फ्लैट का पजेशन ऑफर किया जाना सर्विस में बड़ी लापरवाही है। आगरा से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को सर्विस में बड़ी कोताही माना है। अदालत ने आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि वह फ्लैट खरीदार को मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये का भुगतान करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लैट का पजेशन ऑफर करते समय कंप्लीशन और फायर फाइटिंग सर्टिफिकेट देना डेवलपर्स का कानूनी दायित्व है। कोर्ट का यह फैसला देशभर में घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए अहम है।
कंज्यूमर कोर्ट के फैसले को SC में चुनौती
आगरा के याचिकाकर्ता फ्लैट खरीदार ने नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल नेशनल कंज्यूमर फोरम ने डेवलपर्स को निर्देश दिया था कि वह फ्लैट की कीमत ब्याज के साथ वापस करे, लेकिन स्टंप पेपर के लिए दिए गए पैस और मुआवजा देने से मना कर दिया था। इसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष में यह फैसला सुनाया।
खरीदारा को ब्याज के साथ लौटाएं रकम
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लैट की कीमत के तौर पर जो रकम घर खरीदार ने दी थी, वह डेवलपर्स को वापस करनी होगी। इसके अलावा, 15 लाख रुपये का मुआवजा भी देना होगा। यह राशि 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटानी होगी।
₹10,000 की एसआईपी को ₹15 लाख बनाने वाले 5 फंडआगे देखें।।।
याचिकाकर्ता ने यह फ्लैट 2012 में साढ़े 56 लाख रुपये में खरीदा था। आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी ने बकाये के तौर पर साढ़े 3 लाख रुपये की मांग और की थी। फ्लैट का पजेशन 2014 में दिया जाना था लेकिन उस वक्त कंप्लीशन और फायर फाइटिंग क्लियरेंस सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं थे, जबकि यह दस्तावेज मुहैया करान डेवलपर्स की जिम्मेदारी थी।