बिल्डर जरनैल बाजवा के खिलाफ 53 एफआईआर की जांच में असामान्य देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जांच की निगरानी का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच कैसे करनी है यह जांच एजेंसी देखे, लेकिन संविधान के संरक्षक होने के नाते हम इसकी निगरानी करेंगे। मामले में पहले ही जांच में बहुत देरी हो चुकी है, पुलिस जल्द मामलों का निपटारा करने पर ध्यान केंद्रित करे। बीते बुधवार को कोशिशों के बावजूद गिरफ्तार करने में नाकाम होने की पंजाब के डीजीपी की दलीलों के बीच जरनैल बाजवा चुपचाप वीसी से केस सुनता पकड़ा गया था। वीसी के जरिये बाजवा ने अदालत में हाजिर होने की मोहलत मांगी तो हाईकोर्ट ने उसे फटकार लगाते हुए इससे इन्कार कर दिया था।
इस वाकया से पुलिस की कोशिशों को बता रहे कोर्ट में मौजूद डीजीपी की काफी किरकिरी हुई थी। डीजीपी के हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में पुलिस को बाजवा की तलाश करने में नाकाम बताया गया था। इसके अगले ही दिन बाजवा को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। डीजीपी ने हाईकोर्ट को बताया था कि बाजवा पर कुल 53 एफआईआर हैं। हाईकोर्ट ने पाया कि इनमें से 39 में जांच लंबित हैं और कुछ मामले तो 5 साल से भी पुराने हैं।
बाजवा को शुक्रवार हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया था। बाजवा ने कहा कि वह अब इस मामले में अदालत पहुंच चुका है और ऐसे में अब याचिका खारिज कर दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में जांच में असामान्य देरी हुई है और अदालत अब सभी एफआईआर में जांच की निगरानी करेगी।