रायपुर। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) ने देश भर के सभी जिला और तालुका बार एसोसिएशनों से अनुरोध किया है कि वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के अवलोकन के लिए उन सभी अधिवक्ताओं का विवरण प्रस्तुत करें जो प्रैक्टिस करते हैं और संबंधित बार एसोसिएशनों के सदस्य हैं।
इस प्रैक्टिस को अनिवार्य किया गया है। वहीं ऐसे अधिवक्ता जो अपने संबंधित बार एसोसिएशन को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, उन्हें ”काउंसिल द्वारा नाॅन-प्रैक्टिसिंग एडवोकेट” के रूप में माना जाएगा।
बीसीआई ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि पूर्व में कई अवसरों पर उनके द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करने में कई स्टेट बार काउंसिलों ने ”निष्क्रियता” दिखाई है।
देश की सभी बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों और सचिवों को संबोधित करते हुए एक पत्र 24 जुलाई, 2020 को भेजा गया था। इस पत्र में बीसीआई ने सभी बार एसोसिएशनों से उनके साथ पंजीकृत अधिवक्ताओं का विवरण मांगा है। यह विवरण दिए गए प्रारूप में ईमेल आईडी के माध्यम से मांगा गया है।
बार एसोसिएशन व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए यह डाटा एकत्रित कर सकती हैं। यह डाटा उन सभी वकीलों के बारे में होना चाहिए जो प्रैक्टिस करते हैं और संबंधित बार के सदस्य हैं। एक बार सारा डाटा एकत्रित होने के बाद बार एसोसिएशनों को उसे क्रॉस चेक करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह आवश्यक प्रारूप के अनुसार है।
पत्र में कहा गया है कि इस प्रक्रिया को ”अत्यावश्यक” माना जाए और मांगे गए विवरण 15 दिनों की अवधि के भीतर भेज दिया जाए।
आवश्यक डेटा एकत्र करने के उद्देश्य से, बीसीआई ने सभी अधिवक्ता संघ को निर्देश दिया है कि वे एक आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप बना लें। इसमें केवल उन्हीं अधिवक्ताओं को जोड़ा जाए,जो प्रैक्टिस करते हैं और सिर्फ उनके साथ पंजीकृत हैं।
पत्र में कहा गया है कि,”ऐसे आधिकारिक समूहों में किसी भी ऐसे अधिवक्ता का नाम शामिल न किया जाए जो कहीं और प्रैक्टिस कर रहे हैं या जो उस विशेष बार एसोसिएशन के सदस्य नहीं है।”
बार एसोसिएशनों के ऐसे सभी व्हाट्सएप ग्रुप में, बीसीआई अध्यक्ष बीसीआई से एक अधिकारी को ग्रुप एडमिन के तौर पर नामित करेगा ताकि किसी भी प्रकार की शरारत या शैतानी से बचा जा सकें या कोई गलत हरकत न कर पाए।
इसके अलावा, ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के बाद इस ग्रुप के नाम का विवरण, जिस विशेष जिला/तालुका बार एसोसिएशन ने इसको बनाया है/ ग्रुप के सदस्यों के नाम व संख्या का विवरण भी बीसीआई को ईमेल पर भेजना होगा। परिषद ने सभी अधिवक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे बीसीआई को व्यक्तिगत ईमेल न भेजें।
पत्र में कहा गया है कि,”उन्हें उन संबंधित बार एसोसिएशनों के पास अपना विवरण प्रस्तुत करना होगा, जिसके वे सदस्य हैं।