नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मिलिट्री ऑफिसर का उसकी पत्नी से तलाक मंजूर करते हुए कहा कि जीवनसाथी के खिलाफ मानहानिकारक शिकायतें करना और उसके सम्मान को ठेस पहुंचाना मानसिक क्रूरता के समान है. हाई कोर्ट ने फैसले में की खामी जस्टिस एस. के. कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने टूटे हुए संबंध को मिडिल क्लास मैरिड लाइफ की सामान्य टूट-फूट करार देकर अपने निर्णय में खामी की. यह निश्चित तौर पर प्रतिवादी द्वारा अपीलकर्ता के खिलाफ क्रूरता का मामला है. अपीलकर्ता अपनी शादी को खत्म करने का हकदार है.
कोर्ट ने कहा,
‘जब जीवनसाथी के सम्मान को उसके सहकर्मियों, उसके वरिष्ठोंऔ र समाज के बीच बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जाता है तो ऐसे आचरण को माफ करने की उम्मीद करना मुश्किल होगा.’ पति के हक में ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, पत्नी पर मानसिक क्रूरता का आरोप सुप्रीम कोर्ट