नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के लंबित मामलो को अदालत के सामने एक अटल समस्या बताया । सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मुकदमों का बोझ कम करने के लिए एक समिति बनाए जाने के सुझाव पर सहमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 5 मार्च को चेक बाउंस मामलों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस रविंद्र भट्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ,
इसमें कोई संदेह या विवाद नहीं , कि भारी संख्या में लंबित चेक बाउंस के मामले अदालत के लिए एक अटल समस्या बन चुके है।
अतिरिक्त अदालतों की स्थापना का प्रावधान करना केंद्र सरकार का कर्तव्य
पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जहां लंबित मामलों में 30 से 40 फीसदी मामले चेक बाउंस के हैं, वहीं हाईकोर्ट में भी ऐसे मुकदमे भारी संख्या में हैं। पीठ ने कहा, पहली नजर में यह राय सामने आ रही है कि संसद से निर्मित कानूनों के बेहतर प्रशासन के लिए अतिरिक्त अदालतों की स्थापना का प्रावधान करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है। यह अधिकार केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद-247 के तहत दिया गया है।
वित्त मंत्रालय ने सुझाए अतिरिक्त अदालतों की स्थापना के बजाय कुछ अन्य उपाय
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी ने पीठ को बताया कि वित्त मंत्रालय ने अतिरिक्त अदालतों की स्थापना के बजाय कुछ अन्य उपाय सुझाए है । उन्होंने कहा कि इस समस्या के निदान करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है। समिति व्यापक चर्चा करने के बाद सुझाव देगी।
जिस पर पीठ ने हितधारकों, अधिकारियों और विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों की एक समिति बनाने के इस सुझाव पर सहमति व्यक्त की। पीठ ने एएसजी बनर्जी को समिति बनाने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों के सदस्यों, सचिवों या अधिकारियों के नाम सुझाने का निर्देश दिया।
लंबा अनुभव रखने वाले पूर्व न्यायाधीश को भी समिति में शामिल किया जाना चाहिए
पीठ ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए ट्रायल कोर्ट का लंबा अनुभव रखने वाले पूर्व न्यायाधीश को भी समिति में शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही पीठ ने अगली सुनवाई पर एएसजी बनर्जी के साथ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को भी केंद्र सरकार की तरफ से पेश होने को कहा ।