प्रसारित नहीं किया जा सकता है और वर्तमान मामले में समाचार चैनलों और समाचार रिपोर्टों में पीड़िता के नाम के साथ एफआईआर दिखाई गई है, जो दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले और दिशानिर्देशों के खिलाफ है। याचिका में कुछ मीडिया हाउसों को एफआईआर की सामग्री के साथ पीड़िता का नाम आगे प्रसारित या पोस्ट न करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना भी एक यौन अपराध है और ऐसे मामले में पीड़िता के नाम के साथ-साथ मामले के पूरे तथ्यों को उजागर, प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए।

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