सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय तटरक्षक बल में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध किया रहा है, जबकि सेना, वायुसेना और नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन का लाभ मिल रहा है। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर विचार करने का फैसला लेते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका को अपने पास स्थानांतरित कर लिया।

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेना, वायुसेना और नौसेना की अन्य शाखाओं में समान रूप से नियुक्त महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों के आलोक में यह निर्देश दिया। शीर्ष अदालत महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी के दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें उप कमांडेंट के रूप में सेवा जारी रखने की अंतरिम राहत से इन्कार कर दिया गया था।

लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध करने के लिए तटरक्षक बल को फटकार लगाई थी। पीठ ने कहा था कि भेदभाव खत्म होना चाहिए। हमें ध्वजवाहक बनना है और राष्ट्र के साथ चलना है। पहले महिलाएं बार में शामिल नहीं हो सकती थीं। लड़ाकू पायलट नहीं बन सकती थीं।

तटरक्षक बल लगातार पिछड़ रहा
शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा कि जहां तक सेना, वायुसेना और नौसेना का संबंध है, इस न्यायालय ने निर्णय दिए हैं। उस निर्णय के परिणामस्वरूप महिलाओं को स्थायी आधार पर सशस्त्र बलों में शामिल किया गया है। दुर्भाग्यवश भारतीय तटरक्षक बल लगातार पिछड़ रहा है।

केंद्र से चार सप्ताह में मांगा जवाब

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में मामले के स्थानांतरण के लिए सहमति जताई। अदालत ने एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) अधिकारी के तौर पर काम कर रही याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत के रूप में दिसंबर 2023 में सेवानिवृत्ति से पहले वाले पद पर उनकी सेवा अगले आदेश तक जारी रखने के लिए कहा है। आदेश में केंद्र को निर्देश दिया गया है कि वह उन्हें उनके कैडर और योग्यता के अनुरूप उपयुक्त पोस्टिंग के साथ-साथ बकाया वेतन और वेतन वृद्धि का अधिकार भी दे। अदालत ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी।

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