दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी से पूछा कि एक सत्तारूढ़ राजनीतिक दल राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति कैसे मांग सकता है, वो भी तब जब किसानों के आंदोलन के मद्देनजर सभाओं के खिलाफ निषेधाज्ञा लागू है।

PTI के मुताबिक न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कथित तौर पर बढ़े हुए पानी के बिल के संबंध में 25 फरवरी को जंतर-मंतर पर 800 लोगों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने से पुलिस के इनकार को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि अनुमति जी जाती है ऐसे अन्य आवेदनों की बाढ़ आ जाएगी।

जस्टिस ने कहा, “जब पी2 (CrPC की धारा 144 के तहत एक आदेश) मौजूद है, तो एक सत्तारूढ़ पार्टी (अनुमति के लिए) कैसे आ सकती है? ऐसे में आपको अनुमति नहीं दी जा सकती है। अगर आपके लिए अनुमति दी गई तो इससे बाकी लोगों के लिए रास्ते खुल जाएंगे।”

याचिकाकर्ता की ओर से मामले में उपस्थित वरिष्ठ वकील ने कहा कि धारा 144 के आदेश के बाद भी, हजारों लोगों को सभा आयोजित करने की अनुमति दी गई और एक राजनीतिक दल को भी बहुत बड़े धूमधाम के साथ अनुमति दी गई।

वरिष्ठ वकील ने कहा, “हम रविवार को सीमित क्षेत्र के भीतर केवल 800 लोगों के साथ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। सीमाओं से आवाजाही को रोकने के लिए कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसलिए यह किसी भी कीमत पर इन संगठनों के लिए आंदोलन नहीं होने जा रहा है।”

हालांकि, आम आमदी पार्टी के वकील ने याचिका तब वापस ले ली जब अदालत ने कहा कि वह पुलिस के वकील को निर्देश लेने के लिए सोमवार तक का समय देगी।

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, आम आदमी पार्टी ने कहा था कि वह बढ़े हुए पानी के बिलों और इस मुद्दे को संबोधित करने के उद्देश्य से प्रस्तावित एकमुश्त निपटान योजना में बाधा डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू करेगी। इसमें दावा किया गया था कि दोषपूर्ण जल बिलों के निवारण के लिए दिल्ली सरकार की एकमुश्त निपटान योजना में शहरी विकास सचिव द्वारा प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत करने से इनकार करने के कारण बाधा उत्पन्न हुई है।

याचिका में आम आदमी पार्टी ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 25 फरवरी को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के उसके अनुरोध को जान-बूझकर और मनमाने ढंग से अस्वीकार कर दिया था।

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