दिल्ली सरकार ने मंगलवार को हाई कोर्ट को बताया कि उसने ‘विजिटर्स बोर्ड’ को अधिसूचित कर दिया है। यह बोर्ड राजधानी की जेलों में सुविधाओं के मानक के संबंध में जानकारी देने के लिए है। चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच दिल्ली की जेलों में समस्याओं से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया था। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि दिल्ली जेल नियमावली के अनुरूप ऐसे छह बोर्ड के गठन की अधिसूचना 14 अक्टूबर को जारी की गई थी। यह बोर्ड जेल अधिकारियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा सहित जेल में बनाए रखी जाने वाली बुनियादी सुविधाओं के मानक के संबंध में जानकारी प्रदान करता है।

हाई कोर्ट ने अधिकारियों को 16 हफ्तों के भीतर जेल अस्पतालों में मेडिकल, पैरा-मेडिकल और अन्य पदों के लिए खाली पड़े पदों को भरने को कहा था। बेंच ने मंगलवार को कहा कि जेलों में जरूरत से ज्यादा भीड़ है। जेल की क्षमता 100 कैदियों को रखने की है, लेकिन वहां लगभग 200 कैदी हैं। इसलिए जरूरी कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या को पूरा करना होगा।

सभी मौजूदा रिक्तियां भरी जानी चाहिए। इस मामले में एडवोकेट अजय वर्मा ने कहा कि तिहाड़ जेल में मेडिकल और पैरा-मेडिकल के कई पद खाली हैं। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अनुज अग्रवाल ने भरोसा दिया कि सभी वैकेंसीज जल्द से जल्द भरी जाएंगी। कोर्ट ने 1 अक्टूबर को दिल्ली सरकार को बोर्ड को अधिसूचित करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया था। ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में सेक्रेटरी (होम) को व्यक्तिगत रूप से अदालत के सामने पेश होने का निर्देश भी था।

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