नई दिल्ली।  महाराष्ट्र विधानसभा से बीजेपी के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करना निष्कासन से भी बदतर है। 

 इस पर जस्टिस एएम  खानविलकर ने कहा कि ,“विधानसभा में कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। क्योंकि क्षेत्र के विधायक सदन में मौजूद नहीं रहेंगे। यह पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित करने के समान है, सदस्य को नहीं।’ 

इस मामले की सुनवाई जस्टिस एएम  खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की  बेंच कर रही है। 

पिछले साल जुलाई में, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ “दुर्व्यवहार” करने के लिए भाजपा के बारह विधायकों को एक साल के लिए विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया था। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने विधायकों को सस्पेंड करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद इन विधायकों ने सस्पेंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।


इन विधायकों को किया गया है निलं बित 


12 विधायकों को सस्पेंड किया गया है उनमें संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपल, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भंगड़िया शामिल हैं। निलंबन की अवधि के दौरान इन 12 विधायकों को मुंबई और नागपुर में विधायिका परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक साल के भीतर सस्पेंड की समीक्षा करेगा। हालांकि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।   मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page