इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि Duty के दौरान दुर्घटना के शिकार कर्मचारी की शारीरिक विकलांगता उसकी प्रोन्नति में बाधक नहीं बन सकती। ऐसे मामले विभाग की आरक्षण नीति के तहत सहानुभूति पूर्वक विचारणीय है। यह फैसला न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने ललितपुर निवासी पुलिस आरक्षी की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। याची ने पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा उपनिरीक्षक के पद के लिए आयोजित विभागीय चयन प्रक्रिया से बाहर किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याची के अधिवक्ता किशन गौतम ने बताया कि याची की प्रथम नियुक्ति वर्ष 1998 में हुई थी। याची ने 2011 में उपनिरीक्षक पद हेतु आयोजित विभागीय परीक्षा में शामिल हुआ था। लिखित परीक्षा देने के बाद इलाहाबाद में Duty के दौरान हुई दुर्घटना ने वह 40 प्रतिशत दिव्यांग हो गया।
लिखित परीक्षा के परिणाम में सफल घोषित होने के बाद उसे शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया गया, जिसमे 10 किलोमीटर की दौड़ 75 मिनट में पूरी की जानी थी। याची ने दिव्यांगता के हवाला देते हुए शारीरिक दक्षता परीक्षा में छूट की मांग को पुलिया भर्ती बोर्ड ने खारिज कर दिया। चयन प्रक्रिया से बाहर किए जाने के निर्णय को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने विभागीय सेवा नियामावली में प्रविधानित आरक्षण नीति के आलोक में भर्ती बोर्ड को याची के दावे पर दो महीने में सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेने का आदेश दिया है।