दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। दरअसल, दिल्ली सरकार ने शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर और गवर्नेंस में सुधार पर एक अहम रिपोर्ट सौंपने में देरी के लिए आगामी चुनावों का हवाला दिया था। चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा, ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आदर्श आचार संहिता) का इससे क्या लेना-देना? यह बहुत ही गंभीर मामला है और आप चुनाव की आड़ ले रहे हैं?’
बेंच पिछले साल शहर के प्रशासनिक, वित्तीय और फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और बदलाव के लिए गठित एक हाई लेवल कमेटी की प्रगति की समीक्षा कर रही थी। कोर्ट ने रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा बढ़ाने के लिए समय पर अर्जी न दाखिल करने पर दिल्ली सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए कहा, ‘हर बार चुनाव का बहाना नहीं चलेगा। आपको विभागों के बीच व्यापक विचार-विमर्श लंबित होने के कारण आपको समय मांगना चाहिए था।’
हाईकोर्ट ने MCD से यह भी सवाल किया कि पिछले साल जुलाई में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में तीन सिविल सेवा के उम्मीदवारों की डूबने से हुई मौत पर उसने अपने अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है? बेंच ने MCD के वकील से कहा, ‘तीन जिंदगियां चली गईं। क्या आप तीन बच्चों की मौत की पुनरावृत्ति को बर्दाश्त कर सकते हैं?’ बेंच ने कहा कि CBI उनके आचरण की ‘आपराधिकता’ की जांच कर रही है, लेकिन MCD को यह सूचित करना होगा कि पिछले साल हाईकोर्ट द्वारा निर्देशित सिविल दायित्व को तय करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि MCD कमिश्नर खुद इस मामले में हाईकोर्ट में पेश हों।