भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई के खिलाफ जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को खूब फटकार लगाई है। मंगलवार (15 अक्टूबर, 2024) को मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच फिर से मामले पर सुनवाई करने बैठी तो पूर्व सीजेआई पर याचिकाकर्ता के आरोप सुनकर नाराज हो गई। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी याचिका में दम नहीं। इस पर याचिकाकर्ता उलटे बहस करने लगा। इसके बाद कोर्ट ने सुरक्षा कर्मियों को उसे कोर्टरूम से बाहर ले जाने का आदेश दिया।
अरुण रामचंद्र हुबलीकर ने सुप्रीम कोर्ट में सेवा से अपनी अवैध बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका दायर की। इसमें उन्होंने कोर्ट को बताया कि उन्होंने सेवा विवाद पर पहले भी याचिका दाखिल की थी, उस समय पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। अरुण रामचंद्र हुबलीकर ने पूर्व सीजेआई के खिलाफ जांच की मांग की है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 30 सितंबर को पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ जांच के अनुरोध वाली याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई थी और याचिकाकर्ता से पक्षकारों की सूची से उनका नाम हटाने को कहा था।
सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीष चंद्र शर्मा भी सुनवाई में शामिल थे। उन्होंने सुरक्षा कर्मियों से हुबलीकर को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का आदेश दिया। मंगलवार को सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई का नाम लिया, तो पीठ नाराज हो गई। बेंच ने कहा, ‘हम आप पर जुर्माना लगाने जा रहे हैं। किसी भी न्यायाधीश का नाम न लें। आपके मामले में कोई दम नहीं है।’
इस बात पर याचिकाकर्ता सीजेआई चंद्रचूड़ और दोनों जजों से बहस करने लगा। उसने बेंच की टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा, ‘आप कैसे कह सकते हैं कि मेरे मामले में कोई दम नहीं है। यह कैसे कहा जा सकता है।।। यह मेरे खिलाफ अन्याय है। मरने से पहले कम से कम मुझे न्याय तो मिलना चाहिए।’ इस पर बेंच ने कहा कि वह याचिका को खारिज करती है, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों को याचिकाकर्ता को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का निर्देश दिया गया।
पिछली सुनवाई में सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के सामने पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने की शर्त रखी थी। पीठ ने कहा था, ‘आप एक न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाते हुए कोई याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? थोड़ी गरिमा तो बनाए रखना चाहिए। आप यूं ही नहीं कह सकते कि मैं एक न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश थे।’कोर्ट ने कहा था, ‘जस़्टिस गोगोई भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। आप यह नहीं कह सकते कि मैं किसी न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं, क्योंकि आप उसकी पीठ के सामने अपनी दलीलें मनवाने में सफल नहीं हुए। माफ करें, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।’ हुबलीकर के पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने का आश्वासन दिए जाने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस गोगोई 17 नवंबर 2019 को सेवानिवृत्त हुए थे।