भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत में न्यायाधीशों और वकीलों के कामकाज को लेकर विशेष टिप्पणी की है। CJI ने न्यायमूर्ति एपी सेन के कथन को याद करते हुए कहा कि, ‘एक न्यायाधीश और एक वकील के बीच फर्क होता है। न्यायाधीश द्वारा हमेशा रेत पर अपने ‘कदमों की छाप’ छोड़ी जाती है। ये कदमों की छाप वे लिखित शब्द हैं, जो एक न्यायाधीश द्वारा गढ़े जाते हैं। इसके अलावा, एक वकील द्वारा दिए गए तर्क चाहे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, वे तर्क आने वाली पीढ़ियों के लिए लुप्त हो जाते हैं।’

‘मैंने बहुत विद्वान लोगों से परामर्श लिया’
भारत में न्यायालयों में प्रौद्योगिकी के परिदृश्य पर राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1998 में मुझे बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनने के लिए आमंत्रित किया गया था। मैं इसे लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रहा था कि क्या मुझे इस पद को स्वीकार कर लेना चाहिए। इसके लिए मैंने बहुत से विद्वान लोगों से परामर्श लिया।’

‘एक न्यायाधीश और वकील के कामकाज में फर्क होता है’
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘जिन विद्वान लोगों से मैंने परामर्श लिया, उनमें से एक न्यायमूर्ति एपी सेन भी थे। एपी सेन ने ही ADM जबलपुर के मामले में फैसला सुनाया था। उन्होंने मुझे अपने नागपुर स्थित आवास पर आमंत्रित किया। उन्होंने मुझे बताया कि एक न्यायाधीश और एक वकील के कामकाज बीच फर्क होता है। न्यायाधीश द्वारा हमेशा रेत पर अपने ‘कदमों की छाप’ छोड़ी जाती है। ये कदमों की छाप वे लिखित शब्द हैं, जो एक न्यायाधीश द्वारा गढ़े जाते हैं। इसके अलावा, एक वकील द्वारा दिए गए तर्क चाहे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, वे तर्क आने वाली पीढ़ियों के लिए लुप्त हो जाते हैं।’

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