दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी अस्पतालों के क्रिटिकल केयर में सुधार के लिए एम्स निदेशक के फैसलों का अनुपालन सुनिश्चित करें। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों में क्रिटिकल केयर पहली प्राथमिकता है। इसमें सुधार के लिए एम्स निदेशक के निर्णयों को लागू किया जाना चाहिए।

अदालत राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सरकार की ओर से संचालित अस्पतालों की स्थिति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य सचिव ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से मिलने से इनकार कर दिया है। इस पर अदालत ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे। फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दीजिए। हमें अस्पतालों में क्रिटिकल केयर पर फोकस करना चाहिए।

मामले में दायर एक दस्तावेज में सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए उनकी ओर से बुलाई गई बैठकों में भाग नहीं लिया। पीठ ने कहा- आपको कुछ चिंताएं हो सकती हैं। हम इस पर विचार करेंगे। इस समय इसको पीछे रखिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पतालों में क्रिटिकल केयर पहली प्राथमिकता है। एम्स निदेशक के निर्णयों को लागू किया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राज्य सरकार का नजरिया बाधा डालने वाला नहीं, वरन एम्स निदेशक के निर्णयों को लागू कराना था। दिल्ली सरकार के वकीलों ने अदालत को यह भी भरोसा दिया कि एम्स निदेशक के साथ हितधारकों की बैठक में चर्चा के अनुसार प्रस्तावों को आगे बढ़ाया जाएगा। दिल्ली सरकार के अधिकारियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। सहमति बनी है।

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