दिल्ली के कालकाजी मंदिर में बीते दिनों एक युवक की करंट लगने से मौत और भगदड़ में कुछ लोगों के घायल होने की घटना के मद्देनजर, दिल्ली हाई कोर्ट ने संबंधित मंदिर के प्रबंधन से जुड़े लोगों को यह सुनिश्चित करने का बुधवार को निर्देश दिया कि वे श्रद्धालुओं के लिए जरूरी सभी इंतजाम करें ताकि त्योहार के मौके पर कोई भगदड़ न मचे और अत्यधिक भीड़ न जुटे।
कोर्ट ने श्रद्धालुओं के लिए जरूरी इंतजाम करने को कहा
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने आदेश में कहा कि बारीदारों, पुजारियों और प्रबंधन को यह तय करना चाहिए कि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो और उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिलें। घटना के प्रकाश में आते ही हाई कोर्ट ने 4 अक्टूबर को मामले में सुनवाई की और संबंधित पक्षों के वकीलों से पूरा ब्यौरा मांगा था। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया था कि उक्त दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संबंध में महंत सुरेंद्र नाथ जो वर्तमान में बारीदार हैं, हलफनामा दायर करें और पुलिस यह रिपोर्ट पेश करे कि 3 अक्टूबर, 2024 को कालकाजी मंदिर में हुई 17 वर्षीय स्कूली लड़के की मौत के संबंध में क्या कार्रवाई की गई।
महंत ने हलफनामें में क्या कहा?
कोर्ट ने गौर किया कि महंत के हलफनामे के मुताबिक, मैनेजमेंट कमिटी ने नवरात्रि के दौरान व्यवस्थाओं के मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक की थी। महंत का हलफनामा कहता है कि वह महंत परिसर में रहते हैं और संबंधित परिसर के अलावा, कालकाजी मंदिर के प्रबंधन से उनका कोई ताल्लुक नहीं है।दूसरी तरफ, दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि कालकाजी मंदिर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के मुद्दे, प्रॉपर लाइटिंग,साउंड सिस्टम, सुरक्षा उपाय और सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रबंधन समिति और बारीदारों की है। दिल्ली पुलिस के स्टैंडिंग काउंसिल संजय लाउ ने कोर्ट को बताया कि उस दिन की घटना को लेकर बीएनएस की धाराओं- 289, 125a, 106(1) के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस की रिपोर्ट कहती है कि मामले की जांच चल रही है, बारीदार, पुजारी और प्रबंधन समिति के दूसरे सदस्यों को नोटिस दिए गए हैं। एक महीने में जांच पूरी कर चार्जशीट अदालत में दायर कर दी जाएगी। हाई कोर्ट ने पुलिस को एक्शन टेकन रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई के लिए 6 दिसंबर की तारीख तय कर दी। उस दिन मृतक के परिजनों को कोर्ट में पेश करने के लिए भी कहा गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी को तो इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी और मुआवजा देना होगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बारीदार से पूछा कि क्या वे इसकी जिम्मेदारी लेंगे? जवाब में उनके वकील ने कहा कि वे वे अपनी किसी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।