दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के रजिस्ट्रार और डीन (एडमिशन) को अदालत के निर्देशों को लागू करने में कथित रूप से जानबूझकर टालमटोल करने के लिए तलब किया है। दरअसल, सेंट स्टीफंस कॉलेज ने डीयू पर अदालत के आदेशों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। इसको लेकर उसकी ओर से अवमानना ​​याचिका दायर की गई है। कॉलेज का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय जानबूझकर अदालत के निर्देशों के अनुपालन में देरी कर रहा है, इससे छात्रों के लिए अनिश्चितता पैदा हो रही है।

जस्टिस धर्मेश शर्मा की पीठ ने 7 अक्टूबर को पारित आदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और डीन ऑफ एडमिशन को 15 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। इसमें उनको बताना होगा कि सेंट स्टीफंस कॉलेज में सीट आवंटन के संबंध में अदालत के निर्देशों का पालन करने में कथित विफलता के लिए उन पर जुर्माना क्यों ना लगाया जाए।

सुनवाई के दौरान अदालत के न्यायाधीश ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा, ‘अदालत का मानना ​​है कि प्रतिवादी डीयू के संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ता कॉलेज (सेंट स्टीफंस कॉलेज) के प्रबंधन के साथ अपने व्यक्तिगत मतभेदों के चलते छात्रों के जीवन से खेल रहे हैं। यह इस्वीकार्य है। प्रतिवादी यह बताने में बुरी तरह विफल रहे हैं कि उन्होंने याचिकाकर्ता-कॉलेज की ओर से चयनित छात्रों को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। इस तरह की असंवेदनशीलता निराशाजनक है। इससे चयनित छात्रों का नुकसान होगा।

अदालत ने कहा कि छात्रों को अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि वे अपने पसंदीदा पीजी पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने की स्थिति में हैं या नहीं। यह भी साफ है कि डीयू की ओर से इस बारे में भेजे गए ईमेल या अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया गया है। प्रतिवादियों को जब से चयनित उम्मीदवारों की सूची दी गई है, तभी से उनकी चुप्पी बरकरार है। डीयू को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 36 छात्रों की सूची दी गई थी। अधिकारियों की चुप्पी के चलते अब तक पांच छात्रों का भाग्य अधर में लटका हुआ है। इनको पता नहीं चल पाया है कि उनको किसी पीजी पाठ्यक्रम में दाखिला मिला है या नहीं…

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